मालदीव में हो रहे संसदीय चुनाव पर भारत और चीन दोनों की खास नजर बनी हुई है, दोनों ही देश अपने पक्ष की सरकार बनने पर जोर दे रहे हैं। ऐसे में मालदीव की मीडिया रिपोर्ट की माने तो चीन समर्थक राष्ट्रपति मुइज्जू एक बार फिर भारत की मुश्किलें बढ़ाने को तैयार है।
85% सीटों पर कब्जे को तैयार राष्ट्रपति मुइज्जू
मालदीव के मीडिया रिपोर्ट की मुताबिक राष्ट्रपति मुइज्जू इस बार पूर्ण बहुमत की सरकार बनाने को तैयार है। मालदीव में लगभग सभी 93 सीटों के परिणाम घोषित हो गए हैं जिसमें से राष्ट्रपति मुइज्जू की पार्टी को 79 सीटों पर जीत मिली है जो कुल बहुमत की सीटों से 32 ज्यादा है। राष्ट्रपति मुइज्जू पीपुल्स नेशनल कांग्रेस (PNC) पार्टी को भारी बहुमत के साथ मालदीप की सत्ता में लाने को तैयार है। वहीं दूसरी और वहां की सबसे बड़ी विपक्षी पार्टी इस बार केवल 15 सीटें ही जीतने में कामयाब हो पाई है।
मालदीप के संसदीय चुनाव में जीत के लिए केवल 47 सीटों की ही आवश्यकता होती है ऐसे में 79 सीटों के साथ मुइज्जू का सत्ता में आना भारत के हित के लिए सही नहीं है। राष्ट्रपति चुनाव की तरह संसदीय चुनाव में भी मुइज्जू ने भारतीय सैनिकों को मालदीव से बाहर निकलने का सहारा लिया है, मुइज्जू की पार्टी को पिछले संसदीय चुनाव में केवल 8 सीटें ही प्राप्त थी जिसकी वजह से वह ना तो अपने पसंद की पॉलिसी पास करवा पा रहे थे और ना ही बजट परंतु इस बार की संसदीय चुनाव में जीत के कारण उन्हें यह सब करने से अब कोई भी विपक्षी पार्टी रोक नहीं पाएगी।
राष्ट्रपति मुइज्जू कैसे बढ़ा सकते हैं भारत की मुश्किल है
15 नवंबर 2023 को जब से मोहम्मद मुइज्जू ने मालदीव के राष्ट्रपति के तौर पर शपथ ली है तब से भारत और मालदीव के संबंधों में लगातार खटास देखने को मिल रहा है। उनके द्वारा राष्ट्रपति चुनाव में इंडिया आउट का नारा दिया गया था जो कि भारत के प्रति उनकी सोच और चीन के प्रति उनकी मित्रता को स्पष्ट करती है। उनके मंत्रियों द्वारा भी प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर कई आपत्ति जनित टिप्पणियां भी की गई है। राष्ट्रपति मुइज्जू ने भारतीय सैनिकों को मालदीव से निकालने के साथ-साथ हाइड्रोग्राफिक सर्वे एग्रीमेंट को भी खत्म करने की घोषणा की है।
मालदीव पूर्व को पश्चिम से जोड़ने के लिए एक महत्वपूर्ण शिपिंग रूट भी है जो मालदीप के लोकेशन को बहुत खास बनाता है, और यही वजह है कि भारत और चीन हिंद महासागर में अपना दबदबा बनाए रखने के लिए मालदीव पर करोड़ों रुपए खर्च कर चुके हैं।